जीवन के मैदान में, हर कदम पे जंग हैं |
लड़ना पड़ेगा तुझको ही, कोई नहीं तेरे संग हैं ||
खुद का अस्तित्वा कर , ऐसा नेतृत्वा कर |
इस जंग के मैदान में, दुश्मन को तू चित कर ||
खुद को तू जीत का लिबास बना दे |
हे वीर - इतिहास बना दे.. ||
निर्णय पे अपने अटें रहो , लक्ष्य को तुम रटे रहो |
विश्वास का पहाड़ बना हर मुश्किल पे डंटे रहो ||
कर के अपनी जीत सबके होश उड़ा दे |
हे वीर - इतिहास बना दे.. ||
अगर किये तैयारी हो, सब पर तुम भारी हो |
फ़तेह का झंडा गार ही दोगे, बेशक दुनिया सारी हो ||
करके कोशिश खुद को, तुम खाश बना दे |
हे वीर - इतिहास बना दे.. ||
आम नहीं तुम ख़ास हो,तुम खुद ही खुद के बॉस हो |
सफलता की तैयारी में आत्म विश्वास से लैस हो ||
भूषण जैसे सपनो को तू प्यास बना दे ||
हे वीर - इतिहास बना दे.. ||
लेखक - भूषण सिंह
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