सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दूनिया DUNIYA Hindi Poem Bhushan Singh Writer

  दूनिया को जितना देखा, उतना सिखा, उतना जाना है | कोइ किसी का नही यहां पे, हर दूजा बेगाना हैं || दूनिया को जितना देखा, उतना सिखा, उतना जाना है. यहां सब को तोप चलाना हैं, अंबर के उपर जाना हैं | खूद को जो पहचान सके ना, वो पंडित मौलाना हैं || कोइ हिटलर है , कोइ गालिब है , कोइ बन बैठा दिवाना है. दूनिया को जितना देखा, उतlना सिखा, उतना जाना है. एक बात भूषण की मान जाव, खूद को तूम पहचान जाव | मिले ना मंजील विपरत पथ पे, पहले पथ को जान जाव || चलना होगा स्वयं ही तूझको , जहां भी तूझको जाना है. कोइ किसी का नही यहां पे, हर दूजा बेगाना हैं दूनिया को जितना देखा, उतना सिखा, उतना जाना है.