दूनिया को जितना देखा, उतना सिखा, उतना जाना है |
कोइ किसी का नही यहां पे, हर दूजा बेगाना हैं ||
दूनिया को जितना देखा, उतना सिखा, उतना जाना है.
यहां सब को तोप चलाना हैं, अंबर के उपर जाना हैं |
खूद को जो पहचान सके ना, वो पंडित मौलाना हैं ||
कोइ हिटलर है , कोइ गालिब है , कोइ बन बैठा दिवाना है.
दूनिया को जितना देखा, उतlना सिखा, उतना जाना है.
एक बात भूषण की मान जाव, खूद को तूम पहचान जाव |
मिले ना मंजील विपरत पथ पे, पहले पथ को जान जाव ||
चलना होगा स्वयं ही तूझको , जहां भी तूझको जाना है.
कोइ किसी का नही यहां पे, हर दूजा बेगाना हैं
दूनिया को जितना देखा, उतना सिखा, उतना जाना है.
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